बल्ब का काम क्या है?



 तापदीप्त लैम्प या इन्कैंडिसेंट लैम्प (incandescent lamp) को बोलचाल में बल्ब या शीशबत्ती कहते हैं। यह तापदीप्ति के द्वारा प्रकाश उत्पन्न करता है। गरम होने के कारण प्रकाश का उत्सर्जन, तापदीप्ति (incandescence) कहलाता है। इसमें एक पतला फिलामेन्ट (तार) होता है जिससे होकर जब धारा बहती है तब यह गरम होकर प्रकाश देने लगता है।

थॉमस अल्वा एडिसन ने लाइट के बल्ब का आविष्कार करने से पहले एक उच्च वैक्यूम की निर्वात नली आविष्कार किया था। थॉमस अल्वा एडिसन ने विभिन्न उच्च प्रतिरोध वाले बिजली के तारों को आपस में मिलाकर देखा तो उन्होंने पाया कि इससे एक रोशनी प्रकाशित होती है। इलेक्ट्रॉनिक ब्लब का आविष्कार पहली बार सन 1802 में हम्फ्री डेवी किया था।

जो बल्ब लंबे सम से उपयोग में लाया जा रहा है कि उसे विकसित करने श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन (Thomas Alva Edison) को दिया जाता है. आज ही के दिन एडिसन 27 जनवरी 1880 को अपने पहले बल्ब का पेटेंट हासिल किया था. हाल के कुछ सालों में बल्ब का स्वरूप बहुत बदल गया है.


सही उत्तर नाइट्रोजन है। बल्ब में उपयोग होने वाले टंगस्टन फिलामेंट के ऑक्सीकरण को रोकने के लिए नाइट्रोजन या आर्गन जैसी रासायनिक रूप से निष्क्रिय गैस भरे जाते हैं।



बल्ब को हम तापदीप्त लैम्प या इन्कैंडिसेंट लैम्प भी कहते है। अब आपके मन सवाल आ रहा होगा इसे तापदीप्त लैंप क्यों कहते है , तापदीप्त लैंप इसे इसीलिए कहते है क्यूंकि ये तापदीप्त से प्रकश उत्पन करता है। गर्मी से उत्पन होने वाली उत्सर्जन को हम तापदीप्त कहते है।


तापदीप्त लैम्प या इन्कैंडिसेंट लैम्प (incandescent lamp) को बोलचाल में बल्ब या शीशबत्ती कहते हैं। यह तापदीप्ति के द्वारा प्रकाश उत्पन्न करता है। गरम होने के कारण प्रकाश का उत्सर्जन, तापदीप्ति (incandescence) कहलाता है। इसमें एक पतला फिलामेन्ट (तार) होता है जिससे होकर जब धारा बहती है तब यह गरम होकर प्रकाश देने लगता है।



बल्ब सब्जियां, जैसे कि लहसुन, प्याज और लीक, सुगंधित सब्जियां हैं जिनका उपयोग कैसरोल, शोरबा, कोर्ट-गुलदस्ता और सूप के स्वाद के लिए किया जाता है । उन्हें अपना नाम इसलिए मिलता है क्योंकि यह सब्जियों के पत्ते नहीं हैं जो खाए जाते हैं, बल्कि बल्ब हैं।





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